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इटली से इंडिया तक
यह टाईपफ़ेस ७० के दशक में ऐल्डो नोवारिस द्वारा रचित किये गए, रिवर्स कंट्रास्ट टाइपफ़ेस पर आधारित है, जिसका देवनागरी लिपि में अनुवाद करा गया है।
बादशाह अकबर और बीरबल हमेशा की ही तरह एक दिन बैठकर अपनी प्रजा के बारे में बात कर रहे थे। बातों-ही-बातों में बादशाह ने कहा कि “बीरबल तुम्हें पता है हमारी प्रजा बेहद ईमानदार है।” इसका जवाब बीरबल ने ये कहते हुए दिया कि “बादशाह सलामत, किसी भी राज्य में लोग पूरी तरह से ईमानदार नहीं होते हैं। सारा जग ही बेईमान है।” बादशाह को बीरबल की यह बात पसंद नहीं आई। उन्होंने पूछा, “बीरबल तुम ये कैसी बात कर रहे हो?” बीरबल ने उत्तर दिया कि मैं एकदम सत्य कह रहा हूं। आप चाहो तो मैं अपनी बात अभी साबित कर सकता हूं। इतना आत्मविश्वास देखकर बादशाह बोले, “ठीक है! जाओ, तुम अपनी बात को सच साबित करके दिखाओ।” बादशाह अकबर से इजाजत मिलते ही बीरबल पूरी प्रजा की बेईमानी बाहर लाने के लिए तरकीब सोचने लगे। उनके मन में हुआ कि लोग खुलकर बेईमानी नहीं करते हैं, इसलिए कुछ अलग करना होगा। यह सोचते ही उन्होंने पूरे राज्य में यह एलान कर दिया कि बादशाह एक बड़ा सा भोज करना चाह रहे हैं। उसके लिए वो चाहते हैं कि पूरी जनता अपना योगदान दे। बस आप लोगों को ज्यादा कुछ नहीं एक लोटा दूध पतीले में डालना होगा। इतना ही प्रजा की तरफ से काफी है। इस बात का एलान करवाने के बाद जगह-जगह पर एक-दो बड़े-बड़े पतीले रखवा दिए गए। इतना बड़ा पतीला और राज्य की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए, उसमें लोगों ने शुद्ध दूध डालने के बजाय पानी मिला हुआ दूध डाला। किसी-किसी ने तो सिर्फ पानी ही डाल दिया। हर किसी के मन में यही होता था कि सामने वाले ने तो दूध ही डाला होगा। अगर मैं पानी या पानी मिला हुआ दूध डाल दूंगा तो क्या ही हो जाएगा।