फ्रांसेस्को कैनोवारो, कोसिमो लोरेंजो पैनसिनी और एंड्रिया टार्टारेली द्वारा मूल डिजाइन के बाद श्रृष्टि वाजपेयी द्वारा डिजाइन किया गया, हेडिंग देवा हेडिंग सुपरफैमिली के बहुमुखी औद्योगिक विचित्र कंकाल को देवनागरी लिपि तक विस्तारित करता है।
भिन्नता की शक्ति
The power of variation
प्रतीकों लिखना संचार प्रतीकों लिखना संचार
Heading Deva Ultracompressed 01 Thin
Heading Deva Ultracompressed 02 Light
Heading Deva Ultracompressed 03 Book
Heading Deva Ultracompressed 04 Regular
Heading Deva Ultracompressed 05 Medium
Heading Deva Ultracompressed 06 Bold
Heading Deva Ultracompressed 07 Extrabold
Heading Deva Ultracompressed 08 Heavy
Heading Deva Condensed 31 Thin
Heading Deva Condensed 32 Light
Heading Deva Condensed 33 Book
Heading Deva Condensed 34 Regular
Heading Deva Condensed 35 Medium
Heading Deva Condensed 36 Bold
Heading Deva Condensed 37 Extrabold
Heading Deva Condensed 38 Heavy
Heading Deva 51 Thin
Heading Deva 52 Light
Heading Deva 53 Book
Heading Deva 54 Regular
Heading Deva 55 Medium
Heading Deva 56 Bold
Heading Deva 57 Extrabold
Heading Deva 58 Heavy
Heading Deva's design journey began with the original vision of Francesco Canovaro, Cosimo Lorenzo Pancini, and Andrea Tartarelli, who meticulously crafted the Heading superfamily. Shrishti Vajpai expanded upon this foundation, bridging the gap between the Latin and Devanagari scripts seamlessly.
By extending the powerful industrial grotesque skeleton of Heading to Devanagari, Heading Deva creates a visually striking tool to create attention-grabbing headlines, branding, editorial design, or digital interfaces. With its wide range of weights and widths, Heading Deva ensures that designers working with languages using the Devanagari script have the same ease of use and creative possibilities as their Latin counterparts.
Embrace the versatility of Heading Deva, and unlock a world of space-saving, expressive typography for the Devanagari script
Variable Typefaces
Heading Deva Variable
VARIABLE FONTS ARE ONLY AVAILABLE WITH THE FULL FAMILY PACKAGE, MAY NOT WORK WITH ALL THE SOFTWARE
१० दिसम्बर १९४८ को यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेम्बली ने मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को स्वीकृत और घोषित किया ।
इसका पूर्ण पाठ आगे के पृष्ठों में दिया गया है। इस ऐतिहासिक कार्य के बाद ही असेम्बली ने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वह इस घोषणा का प्रचार करें और देशों अथवा प्रदेशों की राजनैतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किए बिना, विशेषतः स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थाओं में इसके प्रचार, प्रदर्शन, पठन और व्याख्या का प्रबन्ध करें। इसी घोषणा का सरकारी पाठ संयुक्त राष्ट्रों की इन पांच भाषाओं में प्राप्त है—अंग्रेजी, चीनी, फ्रांसीसी, रूसी और स्पेनिश। अनुवाद का जो पाठ यहां दिया गया है, वह भारत सरकार द्वारा स्वीकृत है। क्योंकि मानव परिवार के सभी सदस्यों के जन्मजात गौरव और सम्मान तथा अविच्छिन्न अधिकार की स्वीकृति ही विश्व-शान्ति, न्याय और स्वतन्त्रता की बुनियाद है, क्योंकि मानव अधिकारों के प्रति उपेक्षा और घृणा के फलस्वरूप ही ऐसे बर्बर कार्य हुए जिनसे मनुष्य की आत्मा पर अत्याचार किया गया, क्योंकि एक ऐसी विश्व-व्यवस्था की उस स्थापना को ( जिसमें लोगों को भाषण और धर्म की आज़ादी तथा भय और अभाव से मुक्ति मिलेगी ) सर्वसाधारण के लिए सर्वोच्च आकांक्षा घोषित किया गया है, क्योंकि अगर अन्याययुक्त शासन और जुल्म के विरुद्ध लोगों को विद्रोह करने के लिए—उसे ही अन्तिम उपाय समझ कर—मजबूर नहीं हो जाना है, तो कानून द्वारा नियम बनाकर मानव अधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है, क्योंकि राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ाना ज़रूरी है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्रों के सदस्य देशों की जनता ने बुनियादी मानव अधिकारों में, मानव व्यक्तित्व के गौरव और योग्यता में और नर-नारियों के समान अधिकारों में अपने विश्वास को अधिकार-पत्र में दुहराया है और यह निश्चय किया है कि अधिक व्यापक स्वतन्त्रता के अन्तर्गत सामाजिक प्रगति एवं जीवन के बेहतर स्तर को ऊंचा किया जाए, क्योंकि सदस्य देशों ने यह प्रतिज्ञा की है कि वह संयुक्त राष्ट्रों के सहयोग से मानव अधिकारों और बुनियादी आज़ादियों के प्रति सार्वभौम सम्मान की वृद्धि करेंगे, क्योंकि इस प्रतिज्ञा को पूरी तरह से निभाने के लिए इन अधिकारों और आज़ादियों का स्वरूप ठीक-ठीक समझना सबसे अधिक ज़रूरी है। इसलिए, अब, सामान्य सभा घोषित करती है कि मानव अधिकारों की यह सार्वभौम घोषणा सभी देशों और सभी लोगों की समान सफलता है। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति और समाज का प्रत्येक भाग इस घोषणा को लगातार दृष्टि में रखते हुए अध्यापन और शिक्षा के द्वारा यह प्रयत्न करेगा कि इन अधिकारों और आज़ादियों के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो, और उत्तरोत्तर ऐसे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय उपाय किये जाएं जिनसे सदस्य देशों की जनता तथा उनके द्वारा अधिकृत प्रदेशों की जनता इन अधिकारों की सार्वभौम और प्रभावोत्पादक स्वीकृति दें और उनका पालन कराएं।